Subhash Chandra Bose Jayanti: History, Essay, Speech, Death: News Blog

 Netaji Subhash Chandra Bose.

Netaji Subhash Chandra Bose Image.

आज Netaji Subhash Chandra Bose की 122nd Jayanti है, Subhas Chandra Bose Jayanti की History, Biography, Speech, Death की जानकारी के लिए पढ़े True News India का Blog (Essay).


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जीवनी (Life History of Netaji Subhash Chandra Bose).

नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) जी का जन्म 23 जनवरी 1897 के दिन कटक, बंगाल प्रेसीडेंसी के ओड़िसा डिवीजन, ब्रिटिश भारत में हुआ था, सुभाषचंद्र बोस ने उच्च शिक्षा की प्राप्ति कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) करके करि थी।

सुभाषचंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1938) के अध्यक्ष भी रहे और सुप्रीम कमाण्डर आज़ाद हिन्द फ़ौज के अध्यक्ष भी, सुभाषचंद्र बोस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी तथा बड़े नेता थे। सुभाषचंद्र बोस की फैमिली के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने एमिली शेंकल से 1937 में विवाह किया, लेकिन यह बात भारतीय जनता को 1993 मे पता चली।



सुभाषचंद्र बोस म्यूजियम ( Museum of Subhash Chandra Bose).

आज नेताजी की 122वी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने देश की राजधानी दिल्ली के लाल किले (Redfort) में बने सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम (Subhash Chandra Bose Museum) का उद्घाटन कर नेताजी को श्रद्धांजलि दी और इस म्यूजियम को राष्ट्र को समर्पित किया। दिल्ली में बने सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम में आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) से जुड़ी चीजों को प्रदर्शित किया गया है।

आज़ाद हिंद फौज वही है जब सुभाष चन्द्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को इस फौज की मदद से सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी थी। जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता भी दी थी, इसी कारण जापान (Japan) ने अंडमान व निकोबार द्वीप आज़ाद हिंद फौज द्वारा बनाई गई नेताजी की अस्थायी सरकार को दे दिये थे।

आजाद हिंद फौज ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 75 साल पहले तिरंगा फहराया था, कुछ समय पहले ही 75वीं वर्षगांठ होने के मौके पर पीएम मोदी (PM Modi) ने अंडमान के तीन द्वीपों का नाम, नेताजी के नाम पर रखा है। जो इस प्रकार है अंडमान के हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से अब जाना जाएगा।

Video Credit: Rajya Sabha TV

दिल्ली में शुरू म्यूजियम में आप नेताजी (Netaji) से जुड़ी अनेक वस्तुएं देख सकेंगे जैसे नेताजी जी की कुर्सी, तलवार के साथ ही आईएनए से जुड़े पदक, वर्दी, बैज और अन्य चीजें भी देखी जा सकती हैं। आपको बता दें कि आईएनए के खिलाफ उस समय जो मुकदमा दायर किया गया था उसकी सुनवाई लाल किले (Redfort) के परिसर में ही करि गई थी, इसी वजह से लाल किले में ही सुभाषचंद्र बोस के म्यूजियम बनाने की बात रखी गयी।

सुभाष चंद्र बोस का म्यूजियम देखने आने वाले लोगों के लिए यह होंगी सुविधाएं म्यूजियम देखने आने वाले लोगो के लिए इस म्यूजियम को खास तौर से डिजाइन किया गया है। जिससे उन्हें बेहतरीन अनुभव प्राप्त हो सके। बताया यह भी जा रहा है कि इस म्यूजियम में नेताजी जी से जुड़े फोटो, पेंटिंग, पुराने रिकॉर्ड, अखबार की कटिंग, ऑडियो-विडियो क्लिप, मल्टीमीडिया और एनिमेशन की भी सुविधा है, जिससे वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बारे में अच्छे से जान सके।

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