Swami Vivekananda Death anniversary, Quotes & Essay: 4 जुलाई स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि: True News India.
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Content.
- Swami Vivekananda Death anniversary 2019.
- 4 जुलाई स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि।
- Biography of Swami Vivekananda.
- Swami Vivekananda Quotes & Essay.
- Swami Vivekananda death reason Hindi.
- Swami Vivekananda Photos & Images.
Swami Vivekananda Death anniversary 2019- 4 जुलाई स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि।
इससे पहले की हम हमारा ब्लॉग शुरू करे उससे पहले आप को बता दें की आज स्वामी विवेका नन्द की आज विवेका नन्द जी की 117 पुण्यतिथि है.
आज सायद ही हमारे समाज में कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने swami vivekananda का नाम अपनी जिंदगी में न सुना हो. दोस्तों आज हम आप को अपने ब्लॉग के माध्यम से ऊपर लिखे बिन्दुओ पर प्रकाश डालेंगे उनके बारे में बताएंगे। आइये सबसे पहले स्वामी विवेकानंद जी के जन्म व् पुण्यतिथि पर प्रकश डालते है.
"The powers of the mind are like the rays of the sun when they are concentrated they illumine."— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) July 4, 2019
A tribute to #SwamiVivekananda on his death anniversary. He was a a spiritual soldier, a traveling monk and an orator beyond excellence. pic.twitter.com/xZbis8deB4
जैसा की हम जानते है की Swami Vivekananda जी ने अपनी तेजस्वी विचारो के जरिए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाया था. स्वामी विवेकानंद जी ने न केवल वैज्ञानिक सोच व् तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया है।
- स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ। सन्न 1884 में उनके पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई।
लेकिन स्वामी विवेकानद जी ने पिता की मृत्यु के बाद तथा अत्यंत गरीबी की मार ने भी उनके चित्त को कभी डिगने नहीं। उनकी बचपन से ही संगीत, साहित्य और दर्शन में विवेकानंद को विशेष रुचि थी। तथा खेल-कूद में उनका तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था।
स्वामी विवेकानंद का मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई सन्न 1902 को उनका निधन हो गया था।
Biography of Swami Vivekananda- ’’स्वामी विवेकानंद जी का संक्षिप्त जीवन परिचय‘‘.
आइये अब biography of swami vivekananda पर प्रकश डालते है. स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को एक कायस्थ परिवार में हुआ। वे अपने माता-पिता की छठी संतान थे। स्वामी विवेकानंद जी का बचपन का नाम नरेन्द्र दत्त था। सन् 1882 में दक्षिणेश्वर काली मंदिर में श्री राम कृष्ण परमहंस को अपना आध्यात्मिक गुरू माना।
1 मई 1893 में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। तीव्र बुद्धि के धनी स्वामी विवेकानंद को सिर्फ एक बार पढ़ने के पश्चात् ही सैंकड़ों पन्नों की पुस्तक कंठस्थ याद हो जाती थी। इन्होंने स्ण्स्ण्ठण् यानि कानून की पढ़ाई कर रखी थी। फिर भी
पूर्ण सतगुरू के बिना अध्यात्म ज्ञान अधूरा ही रहा।
काली माता की पूजा तथा श्री कृष्ण जी की पूजा शास्त्राविरूद्ध विधि से करके मानव जीवन के मूल उद्देश्य पूर्ण मोक्ष प्राप्ति से वंचित रहे।
- Swami Vivekananda death reason Hindi.
असाध्य रोग के कारण सन् 1902 में मात्रा 39 वर्ष की अल्प आयु में स्वामी विवेका नन्द परलोक सिधार गए।
इनके गुरू जी श्री राम कृष्ण परमहंस जी भी गले की कैंसर के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए थे। श्री राम कृष्ण परमहंस जी काली देवी के परम भक्त थे। इसके साथ राम तथा कृष्ण अवतारों की भी भक्ति करते-कराते थे। स्वामी विवेकानंद जी भी अपने गुरू जी द्वारा बताई वही भक्ति किया करते थे। दोनों ही रोग के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए। यथार्थ भक्ति से वंचित रहकर दोनों का मानव जीवन व्यर्थ गया। अधिक जानकारी के लिए पढ़े अध्यामिक पुस्तक : "अंध श्रद्धा भक्ति खतराए जान".
Swami Vivekananda essay in Hindi- स्वामी विवेकानंद पर हिन्दी निबंध।
एक समय की बात है एक दिन एक अंग्रेज मित्र तथा कु. मूलर के साथ स्वामी विवेका नन्द जी किसी मैदान में टहल रहे थे। उसी समय एक पागल सांड तेजी से उनकी ओर बढ़ने लगा, तभी अंग्रेज सज्जन अपनी जान बचाने को जल्दी से भागकर पहाड़ी के दूसरी छोर पर जा खड़े हुए। कु. मूलर भी जितना हो सका दौड़ी और फिर घबराकर भूमि पर गिर पड़ीं। स्वामी विवेका नन्द जी ने यह सब देखा और उन्हें सहायता पहुंचाने का कोई और उपाय न देखकर वे सांड के सामने खड़े हो गए और सोचने लगे- 'चलो, जो होगा सो देखा जाएगा।'
Video Credit: Swami Vivekananda - The Inspirational Leader.
बाद में उन्होंने बताया था कि उस समय उनका मन हिसाब करने में लगा हुआ था कि सांड उन्हें कितनी दूर फेंकेगा। परंतु कुछ कदम बढ़ने के बाद ही वह ठहर गया और अचानक ही अपना सिर उठाकर पीछे हटने लगा। स्वामी जी को पशु के समक्ष छोड़कर अपने कायरतापूर्ण पलायन पर वे अंग्रेज बड़े लज्जित हुए। कु. मूलर ने पूछा कि वे ऐसी खतरनाक परिस्थिति से सामना करने का साहस कैसे जुटा सके।
स्वामी जी ने पत्थर के दो टुकड़े उठाकर उन्हें आपस में टकराते हुए कहा :
"खतरे और मृत्यु के समक्ष वे अपने को चकमक पत्थर के समान सबल महसूस करते हैं क्योंकि मैंने ईश्वर के चरण स्पर्श किए हैं।'
- इंग्लैंड के अपने कार्य तथा अनुभवों के विषय में स्वामी विवेका नन्द जी ने -बहनों को लिखा था कि यहां उनके कार्य को जबर्दस्त सफलता मिली है। एक अन्य अमेरिकी मित्र के नाम पत्र में उन्होंने लिखा कि:
अंग्रेजों के महान विचारों को आत्मसात करने की शक्ति में उन्हें विश्वास है, यद्यपि इसकी गति धीमी हो सकती है, परंतु यह अपेक्षाकृत अधिक सुनिश्चित एवं स्थायी होगी।
- परंतु इंग्लैंड में उन्हें सबसे अच्छा लगा था - अंग्रेजों का चरित्र, उनकी दृढ़ता, अध्यवसाय, स्वामीभक्ति, आदर्श के प्रति निष्ठा तथा हाथ में लिए हुए किसी कार्य को पूरा करने की उनकी लगन। वहां के लोगों के अंतरंग संपर्क में आने पर उनके बारे में स्वामी जी के पूर्वकल्पित विचार बिल्कुल ही बदल गए।
अब यहां सायद ही ऐसा कोई भी न होगा जो मुझसे ज्यादा अंगरेजों को प्यार करता हो।'
एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं -
- यह तो तुम जानती ही हो कि अंगरेज लोग कितने दृढ़चित्त होते हैं; अन्य जातियों की अपेक्षा उन लोगों में पारस्परिक ईर्ष्या की भावना भी बहुत ही कम होती है और यही कारण है कि उनका प्रभुत्व सारे संसार पर है। दासता के प्रतीक खुशामद से सर्वथा दूर रहकर उन्होंने आज्ञा-पालन, पूर्ण स्वतंत्रता के साथ नियमों के पालन के रहस्य का पता लगा लिया है।
Swami Vivekananda Quotes in Hindi & English- स्वामी विवेकानंद उध्दरण।
We are what our thoughts have made us; so take care about what you think & Speaking. Words are secondary. Thoughts live; they travel far- Swami Vivekananda.
You have to grow from the inside out. None can teach you, none can make you spiritual & Social. There is no other teacher but your own soul- Swami Vivekananda Quotes.
Truth can be stated in a thousand different ways, yet each one can be true.
The more we come out and do good to others, the more our hearts will be purified, and God will be in them.
Our duty is to encourage every one in his struggle to live up to his own highest idea and strive at the same time to make the ideal as near as possible to the Truth.
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।- स्वामी विवेकानद।
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी सत्य एक सत्य ही होगा।
विश्व एक विशाल व्यायामशाला (परिश्र्मशाला) है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।-स्वामी विवेकानद उध्दरण।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
8 Comments
Very nice & informative blog sir.
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viveka nanda was a Great man in the planet
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी अगर आप स्वामी विवेकानंद के बारेमें और भी मोटीवेशन की पोस्ट पढ़ना साहों तो Swami Vivekananda Quotes पोस्ट की विज़िट करे धन्यवाद।
ReplyDeleteHELLO EVERYONE.. FEW MUNINETS TO REDY THIS INFOR ON HERPES CURE 2018..
ReplyDelete2017 MY MOTHER WAS DIAGNOSED OF HERPES/ KNOWN AS GENITAL WARTS ,I SPENT A LOT OF MONEY ON HER MEDICATION TILL A POINT I EVEN LOST HOPE,BECAUSE MY MOTHER WAS GRADUALLY DYING AND LOST HER MEMORY TOO, I WAS SO DESPERATE TO GET MY MOTHER BACK TO NORMAL, ONE DAY MY UNCLE WHO LIVES IN LONDON UNITED KINGDOM TOLD ME ABOUT DR OLIHA ,WHO HELPED HIM GET RID OF HERPES /GENITAL WART WITH HERBAL MEDICINE AND HIS HERBAL SOAP ,I WAS SO SHOCKED WHEN HE TOLD ME ABOUT THIS ,ALTHOUGH I NEVER BELIEVE IN HERB BUT, I KEEP TO BELIEVE BECAUSE MY UNCLE CAN'T TELL ME LIES WHEN IT COMES TO HEALTH CONDITION I CONTACTED DR OLIHA VIA HIS EMAIL; OLIHA.MIRACLEMEDICINE@GMAIL.COM , YOU CAN TALK TO HIM VIA CALL OR WHATSAPP MESSENGER ON +2349038382931 , HE REPLIED AND ASK ME TO SEND MY HOME ADDRESS AND MY MOTHER'S DETAIL AND THEN I PURCHASED THE HERBAL MEDICINE,SENT ME THE HERBAL MEDICINE THROUGH COURIER SERVICE, WHEN I RECEIVED THIS HERBAL MEDICINE USED IT FOR 2 WEEKS, AND 4 DAYS OF USAGE THE WARTS FELL OFF, MY MOTHER I NOW TOTALLY CURED AND MY MOTHER IS LIVING FREE AND HAPPY AGAIN. YOU CAN TALK TO DR VIA HIS MOBILE NUMBER OR WHATS APP HIM ON +2349038382931.ALL THANKS TO DOCTOR DR OLIHA
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