Holika Dahan Time 2019: Happy Holi 2019, Wishes, Quotes, Essay.

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भारत का बेहद ही लोकप्रिय त्यौहार होली (Holi) हैहोली को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली का त्यौहार (Holi Festival) भारत मे बड़े जोर-शोर और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। समाज का हर तबका विभिन्न प्रकार के रंगों (Colours) और गुलाल से होली खेलते हैं। हर्षोल्लास से परिपूर्ण होली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मार्च माह के आरम्भ या शुरू में या फिर तिथि अनुसार मनाया जाता है।

होली पर भिन्न-भिन्न प्रकार के रंगों से होली खेलने पर लोगों का यह विश्वास है कि होली के त्यौहार के चटक रंग ऊर्जा, जीवंतता और आनंद के सूचक होते है जो जीवन मे अच्छे रंग भर देते है। रंगों की होली से पूर्व संध्या पर होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन (Holika Dahan) के वक्त अग्नि की पूजा करते हैं। होलिका (Holika) दहन के पीछे भी एक कहानी है। बुराई पर अच्छाई की जीत के बारे में जुड़ी हुई है। आइये जानते है होलिका दहन की कहानी.

होलिका दहन की कहानी (Story of Holika Dahan).

होलिका दहन की कहानी की शुरुआत भक्त प्रह्लाद (Prahalad) से होती है। प्रह्लाद विष्णु (Vishnu) यानी नारायण भगवान की अनन्य भक्ति किया करता था। प्रह्लाद ईश्वर को समर्पित एक बालक था, परन्तु उसके पिता हिरण्यकश्यप (Hirnakashyap) नास्तिक थे। प्रह्लाद के पिता ईश्वर को नही मानते थे। हिरण्यकश्यप अपने शासनकाल में बहुत ही दंभी,घमंडी और क्रूर राजा थे।

वही दूसरी ओर भक्त प्रह्लाद हर समय ईश्वर की भक्ति में लीन रहता था। प्रह्लाद केवल और केवल परमात्मा की भक्ति में लीन रहने की वजह से उनके पिता हिरणकश्यप इस बात से आहात थे। इसी बात को लेकर हिरणकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को सबक सिखाना चाहते थे.

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हिरणकश्यप ने अपने पुत्र को समझाने के सारे प्रयास किए, यानी ईश्वर की भक्ति करने से भी मना किया, लेकिन पुत्र प्रह्लाद में किंचित मात्र भी कोई परिवर्तन नहीं आया। हिरण्यकश्यप ने जब प्रह्लाद को बदल नहीं पाए तो उन्होंने उसे मारने की सोची। प्रह्लाद को मारने के लिए उन्होंने अपनी बहन होलिका की मदद ली। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका (Holika) को वरदान प्राप्त था यदि वह अपनी गोद में किसी को भी ले कर अग्नि में प्रवेश करेगी तो स्वयं होलिका को कुछ नहीं होगा परन्तु उसकी गोद में बैठा व्यक्ति भस्म हो जाएगा।

हिरण्यकश्यप के आदेशानुसार होलिका ने प्रह्लाद को बहला-फुसलाकर अग्नि में ले जाने के लिए अपनी गोद में बिठाया, लेकिन प्रह्लाद तो ईश्वर की भक्ति करते थे।होलिका के अग्नि में प्रवेश करते है होलिका भस्म हो गयी और ईश्वर की सच्ची भक्ति करने वाला प्रह्लाद सकुशल अग्नि से बाहर आ गया। इस कथा के अनुसार आज तक रंगों की होली से एक दिन पहले, होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है।

Video Credit - National Geographic.

Holika Dahan Time 2019: होली हमे क्या सिखाती है? (What Holi Festival Teaches Us ?)

होली हमे सिखाती है कि हमारे जीवन को रंगों से भरा होना चाहिए! भिन्न-भिन्न प्रकार के रंग अलग-अलग देखने और आनंद उठाने के लिए बनाए गए हैं। यदि सभी रंगों को एक साथ मिला कर देखे तो अवश्य ही उसका रंग काला होगा। लेकिन कोई नही चाहता कि उसका जीवन काले रंग की तरह काला हो जाए।

इसलिए मनुष्य जीवन मे लाल, पीला, हरा आदि सभी रंग अलग-अलग होने चाहिए, जिससे हमारे जीवन मे आनंद आये और सुखमयी जीवन का उठाएंरंगों को भी इसी प्रकार व्यक्ति द्वारा जीवन में निभाई जाने वाली भूमिकाएँ, उसके भीतर शांतिपूर्ण एवं पृथक रूप से अलग-अलग विद्यमान होनी चाहिए। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपनी “पिता” वाली भूमिका कार्यालय में भी निभाने लगे तो भगवान् ही मालिक है

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हमारे जीवन मे जिस भी प्रकार की परिस्थिति हों, हमें अपना योगदान शत-प्रतिशत देना चाहिए और तब हमारा जीवन रंगों से भरा रहेगा! प्राचीन भारत में इसी संकल्पना को “वर्णाश्रम” कहा गया है। इस शब्द का अर्थ है-कोई व्यक्ति-चाहे वह अध्यापक, डॉक्टर, पिता,बेटा या कुछ और हो, उससे वह भूमिका पूरे उत्साह के साथ अपने मनुष्य जीवन मे निभाने की अपेक्षा करनी चाहिए। मन को इन भिन्न-भिन्न ‘पात्रों’ को अलग-अलग एवं पृथक रखना सुखी मनुष्य जीवन का रहस्य है और रंगों का त्यौहार होली हमें यही सिखाती है।

होली के दिन घर मे तरह-तरह के पकवान बनाये जाते है। जिसमे गुजिया एक खास मिठाई है जो प्रत्येक भारतीय परिवार में होली के दिन अवश्य देखने को मिल ही जाती है। भारत मे होली भी अलग-अलग प्रकार से मनाई जाती है। प्रदेशों के हिसाब से अलग-अलग तरह से लोग होली खेलते हैजिसमे लठमार होली, फूलों की होली, रंगों की होली आदि

होली का दिन हमें भाईचारे के साथ रहकर होली का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाना चाहिए।

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